मेरे अपने विचारों पर आधारित मेरा अपना ब्लॉग
नाचीज इन्सां...
आसमाँ से तारे भी टूट जाते है
तो इस इन्सां का क्या
वो तो नाचीज है
कभी भी
जिंदगी के आसमाँ से
टूट कर गिर सकता है
यह सितारा
रविंद्र "रवी"
अब तो थक जाता हुँ थोडी दूर चलने से, मंज़िल नजर आती है मगर फासला तय नहीं कर पाता।१।
काफिले नजर नहीं आते , मंजिलें नजर नहीं आती उम्र ढल चुकी अब तो, और दूर चला नहीं जाता।२।
बस अब और नही. जिंदगी की राह गुजर जाये चाहे अंधेरे हो या काँटे इस राह में नजर तो कुछ नही आना।३।