Digital Hindi Blogs



October 28, 2018

नाचीज़ इन्सां

नाचीज इन्सां...


आसमाँ से तारे भी टूट जाते है 


तो इस इन्सां का क्या 

 वो तो नाचीज है

कभी भी 

जिंदगी के आसमाँ से 

टूट कर गिर सकता है

यह सितारा

रविंद्र "रवी" 


October 18, 2018

ढलती उम्र


अब तो थक जाता हुँ
थोडी दूर चलने से,
मंज़िल नजर आती है
मगर फासला तय नहीं कर पाता।१।

काफिले नजर नहीं आते ,
मंजिलें नजर नहीं आती
उम्र ढल चुकी अब तो,
और दूर चला नहीं जाता।२।

बस अब और नही.
जिंदगी की राह गुजर जाये
चाहे अंधेरे हो या काँटे
इस राह में
नजर तो कुछ नही आना।३।