कण कण को जीवन देती
तु हर घर में उजियारा लाती
तु नर की नारी है
तु सब से न्यारी है
तु ही माया, है तु ही ममता
तु ही लक्ष्मी, तु ही सीता
तेरे बिन उसका जीवन है रिता
जल, थल, आकाश में
जा पहुँची ये सबला
कैसे कहे कोई तुझे अबला।।
" जागतिक महिला दिन" पर सभी महिलाओ को समर्पित.
--रविंद्र "रवि " कोष्टी
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