देखा,
जिंदगी का एक और दिन गुजर गया
इतिहास मे खुद को समाने के लिए,
तब
आज को याद आया
कुछ तो रह गया है कल का कर गुजरने के लिए
पर, आज सोचता रहा अब कर लेता हुँ
लेकिन आलस ने उसे रोक दिया और
छोड दिया कल करने के लिए
लेकिन नाकाम आज, आज भी न कर सका कल का बचा काम
और देखते ही देखते
जिंदगी का एक और दिन गुजर गया
इतिहास मे खुद को समाने के लिए।
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June 16, 2019
जिंदगी का एक और दिन.....
June 10, 2019
उम्र गुजर जाती है.....
उम्र गुजर जाती है
सवालों को जवाबों
तक ले जाने के लिए,
या फिर ठहर जाते है वो
रुह को खामोशी में जलाने के लिए ।१।
(क्रमशः)
(दोस्तों ये मैने नहीं मेरी बेटी ने लिखी है)
June 1, 2019
जन्मदिवस.....
60 के दशक तक जिन लोगों ने जन्म लिया है उनकी जन्म तारीख तकरिबन 1 जून ही है। ऐसा मैने अपने जीवनकाल मे अनुभव किया है। इसका कारण है अपने देश मे उस समय तक पढाई को उतना महत्त्व नही था। माता पिता पढेलिखे न होने से बच्चों के जनम दिन कोई याद नही रखता था।
जब बच्चों का पाठशाला मे प्रवेश करवाने पहुँचते थे तब शिक्षक जनम तारिख पुछते तो याद की जाती थी जन्म के पहले या बाद मे घटित घटनाएँ।
वो भुकंप आया था उसके एक महिने बाद ये पैदा हुआ था। या बहुत बडा अकाल पडा था उस समय ये 2 माह का था। बस इन्ही घटनाओं के आधार पर जनम दिन निश्चित हुआ करते थे।
जिन बच्चों के माता पिता कुछ पढे हुए होते वे कही लिखकर रखते या अस्पताल से प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेते थे।
हाँ उन दिनो दाई माँ को ही बुलाया करते थे अस्पताल तो बहुत कम लोग जाते थे।
इनमे से एक बच्चा मै हुँ।
आज एक जून जो सार्वजनिक जन्म दिन भी कहलाता है।
पाठशाला मे प्रवेश करते समय पिताजी को याद नही था इसलिए एक जून लिखी गयी।