बचपन की यादे
वो बारिश के दिन
वो बरसात की रातें
वो बचपन की यादें!
फिर हुई वो बारिश सुबह
फिर एक बारिश की शाम हुई,
फिर सूरज ढला,
फिर आई वो बरसात की रात,
ये सिलसिला
बरसात लेते आते
रात दिन का
यूँ ही चलता रहता था,
कई दिन ऐसे ही
बारिश होते रहती थी,
नदियाँ
अपने पुरे जोश में
बहा कराती थी कई दिन,
अब वो एक ख्वाब ही रह गया है.
सिलसिला तो अब भी चलता रहता है,
रात दिन का का
पर अब बारिश
"कुछ पल"
के लिए होती है
बाकि दिन तो धुप ही होती है.
पता ही नहीं चलता
कब बारिश का मौसम आया
और चला गया.........
कवी- रविन्द्र "रवि" ( कोष्टी)
१५/०८/२०१७