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November 21, 2019

दर्द....

दर्द कितने छिपाए रखोगे सीने मे
बस सीना खोल के बोल दो
कुछ माहौल बन जाए।
मौत आ भी जाए अगर चुपके से
दर्द ऐ दास्ताँ सुन
दर्द से वो भी अपनी ही जगह जम जाए।।
रविंद्र "रवि" कोष्टी

October 12, 2019

ऐ सांसों

ऐ सांसों जरा आहिस्ता चलों
अब बुढापा आ गया है इस आंगन में।१।
धडकनों तुम भी थोडा सुस्ताना सिखों सफेदी से उजियारा छा गया है इस आंगन मे।२।

रविंद्र "रवि" कोष्टी

October 6, 2019

ऐ जिंदगी चल ऊठ.....

तू न थक ऐ जिंदगी,
अभी बहुत दूर तलक जाना है हमें,
तू ही तो है अकेली मेरी हमसफर
चल ऊठ ऐ जिंदगी
इतनी जल्दी थकना नही है हमें।।
तू भी थक जाएगी मेरे जैसी
तो मेरा हौसला अफजाई
कौन करेगा??
मुझे सहारा दे
इस ढलती उम्र मे
कौन है जो ले चलेगा
मेरी उंगली थाम
मुझे उस मंजिल तक
जहाँ तलक होता है
सबका सफर
ऐ जिंदगी
उसके बाद तो तूम भी
बेवफाई करने से नही
कतराओगी
अपना मुँह फेर
आँखे चुरा
मुझे अकेला छोड
चल दोगी
जैसा सब के साथ करती हो
ऐ जिंदगी!!!!

रविंद्र "रवि" कोष्टी

June 16, 2019

जिंदगी का एक और दिन.....

देखा,
जिंदगी का एक और दिन गुजर गया
इतिहास मे खुद को समाने के लिए,
तब
आज को याद आया
कुछ तो रह गया है कल का कर गुजरने के लिए
पर, आज सोचता रहा अब कर लेता हुँ
लेकिन आलस ने उसे रोक दिया और
छोड दिया कल करने के लिए
लेकिन नाकाम आज, आज भी न कर सका कल का बचा काम
और देखते ही देखते
जिंदगी का एक और दिन गुजर गया
इतिहास मे खुद को समाने के लिए।

April 16, 2019

ऐ जिंदगी...

ऐ जिंदगी मुझे शिकवा है
तुझसे, काश तु न होती
तो मैं खुशी से जी लेता
इक परिंदे की तरह।

February 2, 2018

खुशियाँ-१

खुशियों की अपनी ही
एक अदा होती है,
चुपके से आती है
और
सब को फिदा कर जाती है।

November 9, 2017

गम का एहसास!!

जिदगी में गम न होते
अगर
खुशियों से आनंद कैसे
मिलता?
खुशियाँ न आती जिंदगी में
अगर
तो गम का अहसास कैसे होता?

रविंद्र "रवि " कोष्टी

September 24, 2011

तलाश...

पथ अगम मेरा 
लक्ष्य अबोध है
नहीं है जो मंजिल मेरी 
उसी की तलाश में 
भटक रहा हु मै!!

एक बूंद प्यार की 
जो प्यास बुझाएगी मेरी
अज्ञात है जो 
उसी सुराही की तलाश में
भटक रहा हु मै!!

शांति मिले, छाया मिले
अपना कोई मिले मुझे 
जो न मालुम 
उसी वृक्ष की तलाश में 
भटक रहा हु मै!!

April 30, 2010

मुझे मत सताओ

(दोस्तों मेरी दि ११/०८/१९९६ को लिखी एक कवीता यहाँ आपकी खिदमत में पेश कर रहा हुंअच्छी लगे तो अपनीप्रतिक्रियाये जरुर देनामुझे अच्छा लगेगाऔर इससे लिखने वलेका हौसला भी बढ़ता हैआभार! )


मुझे मत सताओं दुनियावालों
मै पहले से ही बहुत परेशाँ हूँ
ज़िन्दगी से हैराँ हूँ
मुझे ही क्यों मिले है ये सारे ग़म
क्याँ अब भी बाक़ी है देना
मुझे कुछ सितम
क्याँ भर डालोगे मेरी झोली
इन गमों से
मत परेशाँ करो मूझे
दुनियावालों मै पहले से ही परेशाँ हूँ
ज़िन्दगी से हैराँ हूँ