बस सीना खोल के बोल दो
कुछ माहौल बन जाए।
मौत आ भी जाए अगर चुपके से
दर्द ऐ दास्ताँ सुन
दर्द से वो भी अपनी ही जगह जम जाए।।
ऐ सांसों जरा आहिस्ता चलों
अब बुढापा आ गया है इस आंगन में।१।
धडकनों तुम भी थोडा सुस्ताना सिखों सफेदी से उजियारा छा गया है इस आंगन में।२।
रविंद्र "रवि" कोष्टी
तू न थक ऐ जिंदगी,
अभी बहुत दूर तलक जाना है हमें,
तू ही तो है अकेली मेरी हमसफर
चल ऊठ ऐ जिंदगी
इतनी जल्दी थकना नही है हमें।।
तू भी थक जाएगी मेरे जैसी
तो मेरा हौसला अफजाई
कौन करेगा??
मुझे सहारा दे
इस ढलती उम्र मे
कौन है जो ले चलेगा
मेरी उंगली थाम
मुझे उस मंजिल तक
जहाँ तलक होता है
सबका सफर
ऐ जिंदगी
उसके बाद तो तूम भी
बेवफाई करने से नही
कतराओगी
अपना मुँह फेर
आँखे चुरा
मुझे अकेला छोड
चल दोगी
जैसा सब के साथ करती हो
ऐ जिंदगी!!!!
रविंद्र "रवि" कोष्टी
देखा,
जिंदगी का एक और दिन गुजर गया
इतिहास मे खुद को समाने के लिए,
तब
आज को याद आया
कुछ तो रह गया है कल का कर गुजरने के लिए
पर, आज सोचता रहा अब कर लेता हुँ
लेकिन आलस ने उसे रोक दिया और
छोड दिया कल करने के लिए
लेकिन नाकाम आज, आज भी न कर सका कल का बचा काम
और देखते ही देखते
जिंदगी का एक और दिन गुजर गया
इतिहास मे खुद को समाने के लिए।
जिदगी में गम न होते
अगर
खुशियों से आनंद कैसे
मिलता?
खुशियाँ न आती जिंदगी में
अगर
तो गम का अहसास कैसे होता?
रविंद्र "रवि " कोष्टी