Digital Hindi Blogs



October 31, 2009

प्यार

प्यार का इजहार करू

इतना मै खुश नशीब कहा

प्यार का इंकार करू

इतना मै बद नशीब कहा।


इजहार करू या न करू

इंकार करू या न करू

प्यार तो प्यार ही रहेगा।


October 29, 2009

चाँद पर आशियाना

इस धरतीपर वास करानेवाला हर एक जिव अपने रहने के लिए आशियाना तलाशता है। हर प्राणी का बच्चा आपनी माँ की गोद में आशियाना पाता है। वाही उसके लिए आशियाना होता है। बड़ा होने पर वह भी अपने आशियाने की तलाश करना सुरु कर देता है। इन्सान मात्र इन सबसे अलग होता है। पैदा होने से अंत तक अपने ही माता -पिता के साये में मतलब आशियाने में बड़ा होता है। लेकिन जनसँख्या बढ़ जाने से नए नए आशियाने तयार किए जाते है। प़ता नही वह खुदा ऊपर से जब देखता होगा तो क्या सोचता होगा। उसे चारो तरफ घर ही घर नजर आते होंगे। इन्सान ही इन्सान नजर आहते होंगे। वही भगवान जब पृथ्वी के भविष्य में झांक कर देखता होगा तो क्या पाता होगा। अंदाज लगाइए जरा। क्या नजारा दिखता होगा उसे इस धरती का। भगवान को धरती पर चारो तरफ शिर्फ और शिर्फ घर, इमारते, बड़े बड़े मॉल्सही दिखाई देंगे धरती पर हरियाली कही भी नही होंगी। यूँ कहिये की हरियाली धरती से गायब हो गई होंगी जरा गौर कीजिये और सोचिये की ऐसा हुआ तो क्या हालत होगी इस इन्सान की। हमारी भावी पीढी क्या कहेगी हमारे बारे में। किस कदर वो हमें कोसेंगे।
शायद वो नौबत उन पर नही आएँगी। शायद वो नौबत न आए इसीलिए आज का इन्सान चाँद पर आशियाना बसने की सोच रहा है। और आज उसे सफलता मिलाती नजर आ रही है। चाँद पर पानी जो मिलने के समाचार आ चुके है। सोचिये दोस्तों सोचिये और सोचिये। गहरे से सोचो।

October 27, 2009

पानी बचाए

दोस्तों आज सबसे बड़ा सामाजिक कार्य यह होगा की जादा से जादा पानी की बचत करे। क्योकि इस साल बारिश ठीक से नही हुई है। वैसे भी अब बारिश पहले जैसी नही होती इसलिए हर साल पानी की मात्रा कम हो रही है। पानी बचाना हमारा कर्तव्य हो जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के बार तक़रीबन हर रोज ही किसी न किसी टी.व्ही. चेनल पर कुछ न कुछ दिखाया जाता ही है। उसका ख्याल जरुर करना चाहिए।
पानी का उपयोग इस काम में होता है।
१) पिने के लिए
२) खेती के लिए
३) रोज मर्रा की सफाई के लिए
४) कारखानों के लिए
५) बिजली के उत्त्पादन के लिए
i)जल से बिजली का उत्त्पादन
ii) कोयले से बिजली का
iii) अनु ऊर्जा

बिजली के उत्तपादन में पानी का बहुत जादा मात्र में उपयोग होता है. पण बिजली तो पानी के उपयोग से ही बनती है. इसका साफ मतलब निकालता है की यदि हम बिजली की बचत करते है तो पानी की बचत ही हो जाती है. तो फिर हम बिजली ही क्यों न बचाए. और ऐसा करने से हमारे हातों एक बहुत बड़ा सामाजिक कार्य भी संपन्न हो जाता है. तो दोस्तों आगे आये और बिजली की बचत करे.

October 22, 2009

तुम्हारी तस्वीर

चाँदनी रात में जब मैं
आसमां निहारता हूँ
तो
बेसुमार तारो में
मुझे तुम्हारी तस्वीर नजर आती है ।
मैं उस तस्वीर को
अपनी आंखों में समां लेता हूँ।
और तुम्हारी यादों को
समेटते हुए
नींद की आगोश में समां जाता हूँ।

जब सुबह होती है
आसमां में बादल नजर आते है
और मुझे उन बादलों में भी
तुम्हारी ही तस्वीर
नजर आती है।
लेकिन
मैं अपने आंसुओ से
उस तस्वीर को मिटा देता हूँ
और तुम्हे भूल जाता हूँ
चाँदनी रात में
तुम्हे बेशुमार
तारों में धुंडने के लियें।

यादों के झरोके से

यादों के झरोखों से जब भी मैं झांकता हूँ
तुम्हारी खिलखिलाती तस्वीर पाता हूँ
और उस तस्वीर को देख
मैं उदास हो जाता हूँ
अपनी तकदीर को कोसता हूँ
दिल ही दिल में रो लेता हूँ
और जब मन भर जाता है रोने से
तो आंसू पोंछ लेता हूँ
दिल को समझाता हूँ
जैसे कुछ हुआ ही न हो
दिल बेचारा गम का मारा
क्या न करता
गम भुलाकर चुपचाप हो जाता है
और मैं यादों के झरोके से फिर झांकनेलगता हूँ.

जब याद तुम्हारी आती है

जब याद तुम्हारी आती है
वो (नींद) हमसे रूठ कर
ओझल आखोसे हो जाती है.
जब याद तुम्हारी आती है

जब याद तुम्हारी आती है
करवट भी न बदली जाती है
जब याद तुम्हारी आती है

जब याद तुम्हारी आती है
आखो से नदिया बहती है
जब याद तुम्हारी आती है

जब याद तुम्हारी आती है
जब याद तुम्हारी आती है

October 17, 2009



सबको दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं

October 15, 2009

प्रकृति और मैं

जब मेरे ख़याल
तुम्हारी यादों से टकराते है,
तो मैं एक भयानक आग में
झुलस जाता हूँ।
तब
मेरे भीतर जमीं हुई कल्पनायें
बर्फ की चट्टानों की तरह
पिघलकर बह जाती है।
और
ये पिघली हुई बर्फ
भीतर की आग से
गमों के बादलो में परिवर्तित होकर
दिल के आकाश में
बिजलियाँ कोंधाती है।
और
बादलों की गडगडाहट से
एक क्षण में ही
मेरे जीवन की धरती
फट जाती है।
और मैं
उसमे समां जाता हूँ
कुछ पलों के लिए ।
और तब
मेरी कलम से
शब्दों के आसूं बहकर
कोरे कागज को
नीली स्याही से ढंक लेते है। (रविन्द्र रवि ४/१२/१९८०)

धड़कन

जब उनकी धड़कने
मेरी धडकनों से टकराती है,
तो चटकाने की आवाज आती है।
लगता है किसी का दिल
गिरकर चूर चूर हो गया है,
वो मुझे देखते है
मै उनको देखता हूँ
इस भ्रम में की
शायद उनका दिल टुटा है ।
उनके जाने के बाद
महसूस करता हूँ ,
दिल उनका नही
मेरा टुटा है ।

October 13, 2009

खुबसूरत जिंदगी

न कोई मूरत है,
न कोई सूरत है,
न कोई चाहत है,
न कोई जरुरत है,
फिर भी मेरे ऐ दोस्त बता,
ये जिंदगी क्यो लगती इतनी खुबसूरत है।
न कोई सपना है,
न कोई सच है,
न कोई साथी hai ,
न कोई माजी है,
फिर भी मेरे ऐ दोस्त बता,
ये जिंदगी क्यो लगती इतनी खुबसूरत है।
( यह कविता मैंने आज १ ३/१०/२००९ को लिखी है)

October 8, 2009

सदिया गुजर जाती है

जीवन में लम्हे लाखो होते है,
दो लम्हों के बिच फासला बहुत होता है,
तुम आखो से ओझल जो हो जाती हो
तो लगता है सदिया गुजर जाती है।

जिंदगी की गलियो में भटक जाते है हम
तुम्हे इन राहों में धुन्दते रह जाते है हम,
तुम आखो से ओझल जो हो जाती हो
तो लगता है सदिया गुजर जाती है।

जिंदगी के चौराहे पर मायूस हो जाते है हम,
उलझन में पड़ जाते है किस रह पे जाना है।
तुम आखो से ओझल जो हो जाती हो ,
तो लगता है सदिया गुजर जाती है।



October 7, 2009

इंसानियत

आज सुबह जब मै बाइक पर ऑफिस जा रहा था तो सिग्नल पर मैंने देखा एक बुढा आदमी रास्ता क्रोस कराने में खड़ा था। शायद उसे गाडियो की आवाज ने उसे चौकन्ना कर दिया था। सुना है की ऐसे लोगो को सिक्स्थ सेंस अच्छी देता है। आख़िर उसे सब की चिंता जो होती काश काश काश। खैर, जैसे ही सिग्नल हरा हुआ वहा तैनात ट्राफिक पुलिस ने उस बुढे का हाथ पकड़कर उसे रास्ता क्रोस करवाया। वह आदमी दोनों आखो से अँधा था। मुजे उस आदमी पर तरस आया पर उस पुलिस वाले पर नाज़ हुआ की उसने इंसानियत दिखाई। काश सबको उपरवाला समझदारीसे जिना सिखाये।