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March 19, 2010

उजड़ा हुआ चमन

तस्वीर चाहता हु तुम्हारी केवल,
इस दिल में सजाये रखने को,
और कुछ नहीं चाहिए मुझे तुमसे,
बस एक झलक और देख लेने दो।

झाँक लो जरा इस टूटे हुए दिल में,
शायद तुम्हारे हुस्न को देख वो फिर से जुड़ जाए,
रख दो हथेली को इस धड़कते हुए सिने पर,
शायद यह तुफाँ भी शांत हो जाए।

दे दो दुआएं ऐ बहारों इन्हें,
दुनिया की सारी खुशियाँ मिल जाएँ,
लुट गया चमन मेरा रेगिस्तान बन गया,
खुदा करे मेरी उम्र भी उन्हें लग जाएँ।

( दोस्तों यह कविता मैंने दि. २८-०६-१९८० को लिखी थी.)

रविन्द्र रवि ( कोष्टी)

March 16, 2010

हाय मेरा दिल

सपनो को बीते हुंए
अपनो के लीये सजा रखा था।
अपनो का साथ छुटा
और
बड़े प्यार से दिल लगाकर
बनाया हुआ सपनों का महल टुटा।
और
मेरे सपने
कई सालों से दिल की कोठडी में,
हाँ हाँ कोठडी में
समाये हुए मेरे सपनें,
जिनका
एक एक पहलू
मेरे दिल के परदे पर,
किसी कलाकार ने
बनाकर रखी तस्वीरे,
उन तस्वीरों की तरह
रंगा हुआ था।
और
वे सतरंगी तस्वीरें,
मेरी आँखों के रास्ते,
बेरंगे आंसुओ के रूप में
बहकर साफ हो गयी।
सपनों का महल
पिघलकर बह गया
और
बचा सिर्फ एक
कोरा कागज़-सा,
एक
जिंदगी का सताया,
माशूक का सताया,
मुहब्बत का सताया
हुआ दिल,
मेरा दिल,
हाय
मेरा दिल!
रविन्द्र रवि ( कोष्टी)

March 7, 2010

ख़ुशी और गम

खुशियों के आगोश में जीना आसाँ है यारों
जरा ग़मों से सराबोर जिंदगी भी जी कर देख लो।१।

खुशियाँ हो चारो तरफ ऐसी जिंदगी सभी की चाह है,
ग़मों की जिंदगी मगर कोई न जीना चाहे। २ ।

दुखों से काहे मुंह मोड़ते हो, जरा उन्हें भी तो जीकर देख लो
खुशियों का क्या है , वो तो सभी की चाहत है। ३।

कलियुगी महात्मा

ये आधुनिक महात्मा है,
पंखों और कूलरों के नीचे सोते है
टेलीफोनों से बोलते
और टी. व्ही. को देखते है
नागे साधू बनकर
हसिनाओ से सेवा करवाते है
हाँ ये कलियुगी महात्मा है

जिंदगी के हंसी लम्हें

तुम्हारे संग बिताये उन हसीं लम्हों की
याद आते ही मै तुम्हारी याद में खो जाता हु
और तुम्हे जिंदगी में कभी भी भूल सकू
इस उद्देश से अपने
भविष्य के लम्हों में से
कुछ लम्हे ख़ास तुम्हारी यादो को
याद करके जीने के लिए
संजो के रख देता हु
अपने दिल की तिजोरी में