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April 27, 2019

ये तेरा घर ये मेरा घर

कुछ साल पहले किसी ने एक अलौकिक शहर बसाया. नाम रखा फेसबुक. धीरे धीरे लोग वहाँ अपना डेरा जमाने लगे. फिर अपना घर ही बना लिया। देखते ही देखते करोडों लोगों ने वहाँ अपने घर बना लिए।

फिर एक और शख्स आए और उस दुनिया का नाम रखा व्हाट्सएप। लोगों ने यहाँ भी अपना डेरा लगाना शुरु किया।  देखते ही देखते इस दुनिया ने भी अपना विहंगम रुप दिखा दिया।

फिर कोई आया जिसने इंस्टाग्राम नामक दुनिया बसाना शुरु किया। यहाँ भी लोगों ने घर बनाने शुरु किये।

इस तरह लोग आते गये नयी दुनिया बसाते गये।
अब हर किसी ने अपना घर हर नयी दुनिया में बना लिया है। कभी इस घर कभी उस घर घुमना सबकी दिनचर्या बन गयी।
और कहने लगे ये मेरा घर ये तेरा घर।

April 19, 2019

तब और अब

पहले परिवार बडे हुआ करते थे
और घर छोटे ।
अब परिवार छोटे होते है
और घर बडे।

April 16, 2019

बुढापा...

उलझी हुई जिंदगी को
सुलझाते सुलझाते ही
कब बुढापा आ बरपा 
हमें पता ही न चला।

दर्द.

दर्द इस कदर छाया है
जिंदगी में
दर्द अगर नदारद हो
जिंदगी से
तो बहुत दर्द होता है।

खुशियों की बरसात...

खाली खाली
दिन कटें
सुनी सुनी रातें।
अब तो आजा
साथ हो चले
हो शायद
खुशीयों की बरसातें।।

तिनका...

तुम्हें मुबारक हो खुशी
हमें गम ही सही
जीने के लिए बस
तिनके का सहारा काफी है।

दस्तक...

सुना है खुशियाँ
नशीबवालों के दर पे
ही दस्तक देती है,
हम वो खुशनसीब कहाँ
हम तो गमों के सहारे
ही जी लेते है।

ऐतबार...

आजकल कुछ अजी
दौर से गुजर रहा हुँ यारों
हर पल नब्ज टटोलकर
ये  ऐतबार कर लेता हुँ
कि दिल ने कहीं
धडकना तो बंद नही कर दिया।

जिंदगी...

जिंदगी ने कुछ इस तरह
उलझाए रखा हमें
बचपन से कब बुढापे में
पहुँचे पता ही न चला।

ऐ जिंदगी...

ऐ जिंदगी मुझे शिकवा है
तुझसे, काश तु न होती
तो मैं खुशी से जी लेता
इक परिंदे की तरह।