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January 30, 2020

रिश्तें...।

रिश्ते निभाने के लिए बुद्धि नहीं,
दिल की शुद्धि होनी चाहिये..!!
सत्य कहो, स्पष्ट कहो, सम्मुख कहो,
जो अपना हुआ तो समझेगा,
जो पराया हुआ तो छुटेगा.!!
      🙏🏻🌹 सुप्रभात🌹🙏🏻
    आपका दिन शुभ हो
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
रोज की तरह आज भी मैने सुबह सुबह संदेश फॉरवर्ड करना सुरु किया. इतने दोस्त और व्हाट्सएप ग्रुप है कि हर रोज तकरीबन आधा घंटा बित जाता है फॉरवर्ड करने में।ऐसे मे यह ध्यान ही नही रहता कि कब किसे संदेश फॉरवर्ड किया। काम खतम कर मै सुस्ता रहा था कि घरवाली आकर बडबडाने लगी। "आज का आपका संदेश बहुत ही सटिक है। जैसे व्यवहार करते हो उसे शोभा देता है।" 
मै सकपका गया,"अरे भागवान क्या हुआ? क्यो शोर मचा रही हो?" 
"रिश्ते निभाने के लिए बुद्धी नही..... वो तो आपके पास है नही! सही कहाँ न मैने!"
"जी बिलकुल सही कहा. वो क्या है कि हम परोपकारी लोग है. जब भगवान बुद्धी बाँट रहे थे तब मैने एक इंसान को लाईन के आखिर मे खडे देखा। थोडा पागल जैसा लग रहा था। मैने सोचा चलो इसकी सहायता कर दे। सो मैने मेरी जगह उसे दे दी और मै उसकी जगह चला गया। "
"तभी मै सोचू आप ऐसे क्यो है। " वो.
"लेकिन मैने अंदर की बात बताई ही नही।"मै.
" वो क्या?  " वो.
"मेरा नंबर आते आते बुद्धी खत्म होने को आयी थी। मुझे यह बात समझ आ गयी। इसलिए मैने यह परोपकार किया। " मै.
"अरे वा। आप तो बहुत समझदार थे।" वो.
"लेकिन तुमने वो कौन था ये नहीं पुछा।" मै
"जरूरत नही. लेकिन आप बता ही  दिजिए।" वो.
"अरे उसे मै तब थोडे ही पहचानता था। वो तो शादी के बाद पहचान हुई। तब पता चला वो तुम्हारा भाई था।" मै
"क्या????"वो
उनकी हालत देखने लायक थी।

January 29, 2020

भाग्यवान...


यात्रियों से भरी बस चली जा रहा थी, जब अचानक मौसम बदला और भारी बारिश चालू हो गयी और बिजली भी चारों तरफ चमकने लगी ।

सभी देख रहे थे कि बिजली कभी भी बस को चपेट में ले सकती है ।

रोशनी से बचने के 2 या 3 कठिन  प्रयास के बाद, चालक ने पेड़ से पचास फुट की दूरी पर बस बंद कर कहा -

"हमारे पास बस में कोई है जिसकी मृत्यु आज निश्चित है ।"

उस व्यक्ति की वजह से बाकी सब लोग आज भी मारे जाएंगे ।

अब ध्यान से सुनिये जो मैं कह रहा हूं ..
मैं चाहता हूं कि प्रत्येक व्यक्ति बस से उतर एक एक कर बाहर जाकर पेड़ के तने को स्पर्श करे और वापस आ जाए ।

"जिसकी मौत निश्चित है वह बिजली से पकड़ा जाएगा और मर जाएगा और बाकी सभी को बचा लिया जाएगा ।"

उसने पहले व्यक्ति को जाने और पेड़ को छूने और वापस आने के लिये कहा ।

वह अनिच्छा से बस से उतर गया और पेड़ को छुआ ।

उसका दिल प्रसन्न हो गया जब कुछ भी नहीं हुआ और वह अभी भी जीवित था ।

यही क्रम बाकी यात्रियों के लिए जारी रहा और उन सभी को राहत मिली जब वे पेड़ को छु कर लौटे और कुछ भी नहीं हुआ ।

लेकिन जब आखिरी यात्री की बारी आई, तो सभी उसे आँखों से घूरने लगे ।

वह यात्री बहुत डर गया और अनिच्छुक था क्योंकि वही केवल  अकेला बचा था ।

सभी ने उसे नीचे उतरने और जाने और पेड़ को छूने के लिए मजबूर किया ।

मृत्यु के 100% भय के साथ, अंतिम यात्री पेड़ के पास गया और उसे छुआ ।

उसी समय वहाँ गड़गड़ाहट की एक बड़ी आवाज़ गूँजी और बिजली ने बस को चपेट में ले लिया - हां, बिजली के चपेट में आने से बस के अंदर सभी मारे गये ।

इस घटना से यह स्पष्ट हो गया   ( मानना पडेगा ) कि पूरी बस इस आखिरी यात्री की उपस्थिति के कारण सुरक्षित थी ।

कई बार, हम अपनी वर्तमान उपलब्धियों के लिए स्वयं श्रेय लेने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि यह हमारे साथ जूडे एक व्यक्ति के कारण है । शायद उस व्यक्ति की वजह से हम अपनी वर्तमान खुशी, सम्मान, प्रेम, नाम, प्रसिद्धि, वित्तीय सहायता, शक्ति, स्थिति................का आनंद ले रहे हैं ।

अपने चारों ओर देखिए - शायद आपके माता-पिता, आपके पति या पत्नी, आपके बच्चे, आपके भाई-बहन, आपके मित्र आदि के रूप में आपके आस-पास कोई है, जो आपको नुकसान से बचा रहे हैं ..!

इसके बारे में सोचिये .. और उस आत्मा को धन्यवाद दें...।
(व्हाट्सएप से प्राप्त संदेश)

January 22, 2020

सफल जीवन...

सफल जीवन के चार
           सुत्र•••
मेहनत करे तो धन बने,
 सबर करे तो काम•••••
मीठा बोले तो पहचान बने,
               और
इज्जत करे तो नाम•••
.          💐💐शुभ रात्री💐💐

January 19, 2020

सफलता...

हर प्रयत्न में सफलता
शायद न मिल पाए
          लेकिन
हर सफलता का कारण
प्रयत्न ही होता है !!

🌹सुमधुर प्रभात 🌹

January 17, 2020

हमारा बचपन....

किस महानुभव ने यह व्हाट्सएप पोस्ट लिखी है, यह तो पता नहीं. लेकिन यथार्थ परिपूर्ण है. तबके जीवन की सच्चाई से ओतप्रोत मन लुभावन यह पोस्ट हम उम्र साथियों को जरूर पसंद आयेगी। अपनी प्रतिक्रिया देना न भुलना।

पाँचवी तक घर से तख्ती लेकर स्कूल गए थे... 
स्लेट को जीभ से चाटकर अक्षर मिटाने की हमारी स्थाई आदत थी इस पापबोध के साथ कि विद्यामाता नाराज न हो जायें,
कक्षा के तनाव में पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर ही हमनें तनाव मिटाया था।
स्कूल में टाट-पट्टी की अनुपलब्धता में घर से बोरी का टुकड़ा बैठने के लिए बगल में दबा कर भी साथ ले जाते थे !
कक्षा छः में पहली दफा हमने अंग्रेजी का ऐल्फाबेट पढ़ा और पहली बार एबीसीडी देखी 
स्मॉल लेटर में बढ़िया एफ बनाना हमें बारहवीं तक भी न आया था !
करसीव राइटिंग भी कॉलेज में जाकर ही सीख पाये !
उस जमाने के हम बच्चों की अपनी एक अलग ही दुनिया थी,
कपड़े के थैले में किताब और कापियाँ जमाने का विन्यास हमारा अधिकतम रचनात्मक कौशल था !
तख्ती पोतने की तन्मयता हमारी एक किस्म की साधना ही थी ! हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते (नई काॅपी-किताबें मिलती) तब उन पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का स्थाई उत्सव था !
सफेद शर्ट और खाकी पेंट में जब हम माध्यमिक कक्षा पहुँचे तो पहली दफा खुद के कुछ बड़े होने का अहसास तो हुआ लेकिन पेंट पहन कर हम शर्मा रहे थे, मन कर रहा था कि वापस निकर पहन लें ! 
साईकिल से रोज़ सुबह कतार बना कर चलना और साईकिल की रेस लगाना हमारे जीवन की अधिकतम प्रतिस्पर्धा थी !
हर तीसरे दिन पम्प को बड़ी युक्ति से दोनों टांगो के मध्य फंसाकर साईकिल में हवा भरते मगर फिर भी खुद की पेंट को हम काली होने से बचा न पाते थे !
स्कूल में पिटते, कान पकड़ कर मुर्गा बनते मगर हमारा ईगो हमें कभी परेशान न करता.. हम उस जमाने के बच्चे शायद तब तक जानते नही थे कि #ईगो होता क्या है!
क्लास की पिटाई का रंज अगले घंटे तक काफूर हो जाता, और हम अपने पूरे खिलंदड़ेपन से हंसते पाए जाते !
रोज़ सुबह प्रार्थना के समय पीटी के दौरान एक हाथ फासला लेना होता, मगर फिर भी धक्का मुक्की में अड़ते भिड़ते सावधान विश्राम करते रहते !
हम उस जमाने के बच्चे सपनें देखने का सलीका नही सीख पाते थे, अपनें माँ बाप को भी ये कभी नही बता पाते थे कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं, क्योंकि "आई लव यू माॅम-डेडी" नहीं आता था !
हम उस जमाने  से निकले बच्चे गिरते सम्भलते लड़ते भिड़ते दुनियां का हिस्सा बने हैं ! कुछ मंजिल पा गये हैं तो कुछ यूं ही खो गए हैं !
पढ़ाई फिर नौकरी के सिलसिले में लाख शहर में रहें लेकिन जमीनी हकीकत जीवनपर्यन्त हमारा पीछा करती रहती रहती है. 
अपने कपड़ों को सिलवट से बचाए रखना और रिश्तों को अनौपचारिकता से बचाए रखना हमें नहीं आता है !
अपने अपने हिस्से का निर्वासन झेलते हम बुनते है कुछ आधे अधूरे से ख़्वाब और फिर जिद की हद तक उन्हें पूरा करने का जुटा लाते है आत्मविश्वास !
कितने भी बड़े क्यूँ न हो जायें हम आज भी दोहरा चरित्र नहीं जी पाते हैं, जैसे बाहर दिखते हैं, वैसे ही अन्दर से होते हैं !
हम थोड़े अलग नहीं, पूरे अलग होते हैं !
कह नहीं सकते हम बुरे थे या अच्छे थे,....यही एक पीढ़ी है जिसने जीवन जिया है। इसके बाद की पीढ़ी जीवन के अर्थ को समझ नहीं पाएगी । तब *के जीवन* और *के.जी.वन* में यह अंतर हमेशा बना रहेगा। 🙏

हमारा बचपन 
😢😢😢😢😢
हमारा बचपन

January 15, 2020

जीवन की सार्थकता

✍🏻वृक्ष कभी इस बात पर व्यथित नहीं होता कि उसने कितने पुष्प खो दिए !                            
         वह सदैव नए फूलों के सृजन में व्यस्त रहता  है। जीवन में कितना कुछ खो गया, इस पीड़ा को भूल कर, क्या नया कर सकते हैं, इसी में जीवन की सार्थकता है !

    🌹 Good Morning🌺

January 14, 2020

जिंदगी का खेल

"खो" देते हैं,
               फिर...
       "खोजा" करते हैं,
         यही खेल हम
          जिन्दगी भर
        "खेला" करते हैं. . .
        🌹सुप्रभात🌹
                                                     ​

January 12, 2020

संस्कार...

धन को एकत्रित करना सहज हैं 
                            लेकिन
                  संस्कारों को एकत्रित
                      करना कठिन हैं !
             धन को तो लूटा जा सकता हैं,
                            लेकिन
                संस्कारों के लिए समर्पित
                      होना पड़ता है।
                 
                          💐💐शुभ प्रभात💐💐

January 11, 2020

ऐ राही.....

👉 चलते रहे कदम तो
               किनारा जरुर मिलेगा
अन्धकार से लड़ते रहे
           तो सवेरा जरुर खिलेगा
जब ठान लिया मंजिल पर जाना
           तो रास्ता जरुर मिलेगा
ए राही न थक, आगे चल
          एक दिन समय जरुर फिरेगा
               🙏🏻💐🙏🏻

January 10, 2020

पक्के धागे...

*"सफलता" भी फीकी लगती है, यदि कोई "बधाई देने वाला" नहीं हो।*
*और "विफलता" भी सुन्दर लगती है, जब आपके साथ "कोई अपना खड़ा" हो।*

    *ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं*
                   *और*
   *ना पास रहने से जुड़ जाते हैं*
*यह तो एहसास के पक्के धागे है*
                   *जो*
             *याद करने से*
     *और मज़बूत हो जाते है।*
                 🌹*सुप्रभात्* 🌹

January 9, 2020

यादें

🙏🙏🙏

कोशिश करो कि ज़िन्दगी का 
हर लम्हा अच्छे से अच्छा गुजरे;

क्योंकि जिंदगी नहीं रहती 
पर अच्छी यादें हमेशा जिंदा रहती हैं।

                        *सुप्रभात* 💐🌹   

January 8, 2020

सुख

जिन्हें आप खुश देखना चाहते हो उन्हें यही पर सुख देना

क्योंकि ताजमहल दुनिया ने देखा है मुमताज ने नही 
    जय श्री कृष्णा     🙏 सुप्रभात 🙏

January 7, 2020

संस्कार

✍✍

पूरी दुनिया जीत सकते है,
संस्कार से...!
और..,
जीता हुआ भी हार जाते है,
अहंकार से...!!  
       
    💞💞शुभ सकाळ💞💞

January 6, 2020

19 उंटों की कहानी

19 उंटों की कहानी
मजाक में मत लेना जी

🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪🐪

एक गाँव में एक व्यक्ति के पास 19 उंट थे। 

एक दिन उस व्यक्ति की मृत्यु हो गयी। 

मृत्यु के पश्चात वसीयत पढ़ी गयी। जिसमें लिखा था कि:

मेरे 19 उंटों में से आधे मेरे बेटे को,19 उंटों में से एक चौथाई मेरी बेटी को, और 19 उंटों में से पांचवाँ हिस्सा मेरे नौकर को दे दिए जाएँ।

सब लोग चक्कर में पड़ गए कि ये बँटवारा कैसे हो ?

19 ऊंटों का आधा अर्थात एक ऊँट काटना पड़ेगा, फिर तो ऊँट ही मर जायेगा। चलो एक को काट दिया तो बचे 18 उनका एक चौथाई साढ़े चार- साढ़े चार. फिर?

सब बड़ी उलझन में थे। फिर पड़ोस के गांव से एक बुद्धिमान व्यक्ति को बुलाया गया।

वह बुद्धिमान व्यक्ति अपने ऊँट पर चढ़ कर आया, समस्या सुनी, थोडा दिमाग लगाया, फिर बोला इन 19 ऊंटों में मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो।

सबने सोचा कि एक तो मरने वाला पागल था, जो ऐसी वसीयत कर के चला गया, और अब ये दूसरा पागल आ गया जो बोलता है कि उनमें मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो। फिर भी सब ने सोचा बात मान लेने में क्या हर्ज है।

19+1=20 हुए।

20 का आधा 10, बेटे को दे दिए।

20 का चौथाई 5, बेटी को दे दिए।

20 का पांचवाँ हिस्सा 4, नौकर को दे दिए।

10+5+4=19 

बच गया एक ऊँट, जो बुद्धिमान व्यक्ति का था...

वो उसे लेकर अपने गॉंव लौट गया।

इस तरह 1 उंट मिलाने से, बाकी 19 उंटो का बंटवारा सुख, शांति, संतोष व आनंद से हो गया।

सो हम सब के जीवन में भी 19 ऊंट होते हैं।

5 ज्ञानेंद्रियाँ
(आँख, नाक, जीभ, कान, त्वचा)

5 कर्मेन्द्रियाँ
(हाथ, पैर, जीभ, मूत्र द्वार, मलद्वार)

5 प्राण
(प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान)

और

4 अंतःकरण
(मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार)

कुल 19 ऊँट होते हैं। 

सारा जीवन मनुष्य इन्हीं 19 ऊँटो के बँटवारे में उलझा रहता है।

और जब तक उसमें *मित्र* रूपी ऊँट नहीं मिलाया जाता यानी के दोस्तों के साथ.... सगे-संबंधियों के साथ जीवन नहीं जिया जाता, तब तक सुख, शांति, संतोष व आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती।

यह है 19 ऊंट की कहानी...😌🙏🏽

January 3, 2020

किस्मत

किस्मत की एक आदत है 
कि वो पलटती जरुर है 
और जब पलटती है 
तब सब कुछ पलटकर रख देती है 
इसलिए अच्छे दिनों मे अहंकार न करें 
और खराब समय में थोड़ा सब्र करें 

    🙏🏻🙏🏻सुप्रभात🙏🏻🙏🏻

January 2, 2020

आत्मविश्वास

आत्मविश्वास हमारा सबसे बेहतरीन साथी है,
             बिना इसके घर से ना निकलें..।
अनिवार्य नहीं है कि इससे सफलता मिलेगी...

             लेकिन

चुनौतियों का सामना करने की शक्ति अवश्य मिलेगी...!

🙏☘🌹 सुप्रभात 🌹☘🙏

January 1, 2020

बिते वर्ष......स्वागत २०२०

बिते वर्ष पग पग चलते हर राही का मुझको स्नेह मिला,

हर पल हर पल न थम चलती सांसों से भी मुझको स्नेह मिला,

राहों में मिलते सुख दुख ने भी मनभर मुझको स्नेह दिया,

हर राह पर मित्रों ने भी मुझको परम स्नेह

वितरित किया

बस रह गया इतना ही मुझसे मैने न उनको धन्यवाद दिया,

आज इस वर्ष समाप्ती की और नव वर्ष आगमन की बेला पर,

मेरा हर राही, मेरी सांसों तुमको,

सुख दुख और मित्रों तुमको भी

दिल की गहराईयों से धन्यवाद।

नववर्ष में भी तुम सब मेरे साथी होंगे

जब थक जाऊँ चलते चलते

बतियाने को तुम संग संग होंगे

यहीं कामनाएँ है मेरी 

वादा निभाने की है अब तुम्हारी बारी

नववर्ष की सब को शुभ कामनाएँ प्यार भरी।
रविंद्र "रवि" कोष्टी
(मेरी रचना)