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December 31, 2018

मैं मैं हुँ......

मैं मैं हुँ,
मेरा स्वागत
लोग धुमधाम से करते है;
और मेरी उम्र
ढलकर वापस
जाते समय भी
लोग मुझे धुमधाम से
बिदाई भी देते है।
मैं सिर्फ मैं ही हुँ
क्योंकि मेरी उम्र ही
सिर्फ एक वर्ष है।
मैं मैं हुँ
और मेरा नाम है
"साल"

November 22, 2018

मुखौटें..

मुखौटें बहुत मिलते है
इस शहर की गलियों में,
बस चेहरों की तलाश जारी है।
--रविंद्र "रवी "

November 20, 2018

जींदगी का सच....

जो चाहिए
वो मीलता नहीं।
जो मीलता है
वो टिकता नहीं।
जो टिकता है
वो पसंद नहीं
जो पसंद हो
वो मीलता नहीं
जो मीलता है
वो चाहता नहीं।
जो चाहता हुँ
वो खो जाता है
और जो खो जाता है एक बार
दोबारा नहीं मीलता।

November 2, 2018

प्रार्थना.......

हम जहाँ प्रार्थना करते है
केवल वहीं ईश्वर नही होता..
ईश्वर वहाँ भी होता है
जहाँ हम गुनाह करते है.!

October 28, 2018

नाचीज़ इन्सां

नाचीज इन्सां...


आसमाँ से तारे भी टूट जाते है 


तो इस इन्सां का क्या 

 वो तो नाचीज है

कभी भी 

जिंदगी के आसमाँ से 

टूट कर गिर सकता है

यह सितारा

रविंद्र "रवी" 


October 18, 2018

ढलती उम्र


अब तो थक जाता हुँ
थोडी दूर चलने से,
मंज़िल नजर आती है
मगर फासला तय नहीं कर पाता।१।

काफिले नजर नहीं आते ,
मंजिलें नजर नहीं आती
उम्र ढल चुकी अब तो,
और दूर चला नहीं जाता।२।

बस अब और नही.
जिंदगी की राह गुजर जाये
चाहे अंधेरे हो या काँटे
इस राह में
नजर तो कुछ नही आना।३।

March 8, 2018

आंतरराष्ट्रीय महिला दिवस...

कण कण को जीवन देती
तु हर घर में उजियारा लाती
तु नर की नारी है
तु सब से न्यारी है
तु ही माया, है तु ही ममता
तु ही लक्ष्मी, तु ही सीता
तेरे बिन उसका जीवन है रिता
जल, थल, आकाश में
जा पहुँची ये सबला
कैसे कहे कोई तुझे अबला।।
" जागतिक महिला दिन" पर सभी महिलाओ को समर्पित.
--रविंद्र "रवि " कोष्टी

February 2, 2018

खुशियाँ-१

खुशियों की अपनी ही
एक अदा होती है,
चुपके से आती है
और
सब को फिदा कर जाती है।