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जपान देश बहुत कम समय मे उभरा है। उसे आज नैसर्गिक आपदाओ ने बुरी तरह घेर लिया है।इस तस्वीर को देखने से रोंगटे खड़े हो जाते है।
८.९ रिश्टर का भयंकर भूकंप वहा आया और साथ सुनामी नाम की राक्षस को भी लाया। इस राक्षस ने घर, कारखाने, कारे, ट्रक जो कुछ भी रास्ते में आया उसे अपनी आगोश में समा लिया है। इससे यही साबित होता है दोस्तों की इस ब्रम्हांड में ईश्वर से बड़ा कोई नहीं है। वो कुछ भी कर सकता है। हम चाहे कितना भी बचने
की कोशिश करे जब तक वो नहीं चाहता हम बच नहीं सकते।
आज मुझे वो दिन याद आ रहे है जब मै जापान गया था। ओक्टोबर १९९८ में दिवाली की रात, जब दुनिया दिवाली मना रही थी हम मुंबई के हावाई अड्डे पर हवाई जहाज की राह देख रहे थे. रात १२ बजे हम सवार हुए थे.
मुझे मालुम था जापान में हमेशा भूकंप आते है। इसलिए जब हम वहा पहुचे हमें एक ५५ माले की होटल के ४४ वे माले पर एक कमरे में ठहराया गया था। वहा उस माले पर पहुँचाते ही मुझे ऐसा लगाने लगा था की वह ईमारत डौल रही है। डर लगता था। वहा हार जगह लिखा था की भूकंप आये तो लिफ्ट का इस्तेमाल न करे। फिर क्या क
रे तो कमरे में जो कांच की दीवार थी उसे तोड़े उस पर सीढ़िया है उसका इस्तेमाल कर निचे उतारे। मै सोचने लगा की १० सेक
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ण्ड में भूकंप तबाही मचा देता है और ४४ वे माले से नीचे यदि लिफ्ट से जाते है तो २ मिनिट लगते है। पैदल जाने में कितना समय लगेगा। दिल को पक्का कर लिया और यदि भूकंप आता भी है तो मै अपने कमरे से किसी हालत में बहार नहीं जाऊंगा ये ठान ली। हमारा भाग्य की एक महीने में भूकंप नहीं आया।
ईश्वर से प्रार्थना करते है की जापान में भूकंप पीडितो को खुशहाल रखे और जो मृत हुए हो उनकी आत्मा को शांति दे।