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दोस्तों दुनिया की जनसँख्या बहुत ही गतिसे बढ़ रही है। आज मुझे गूगल पर एक बहुत ही सुन्दरसी लिंक मिली जिसमे हम दुनियाभर के देशो की जनसँख्या की तुलना कर सकते है। यहाँ क्लिक करे
१९६० से २००८ तक की जनसँख्या का ब्यौरा इसमे दिखाई देता है। कौनसे देश दुनिया की जनसँख्या को बढ़ने में अच्छी तरह साथ दे रहे है ? आप खुद ही देख सकते। १९६० में हमारे देश की जनसँख्या थी ४३ करोड़ ४८ लाख जबकि २००८ में वह बढ़कर हो गई है तकरीबन ११४ करोड़। मतलब पिछले ४८ सालो में हमारी जनता में करीबन ७४ करोड़ का इजाफा हुआ है। साल में १.५० करोड़। क्या बात है दोस्तों। इसी गति से बढ़ोतरी होती रही तो हमारी धरती पर माफ करे हमारे देश में हमें खड़े रहने के लिए भी जगह मिल सकेगी या नहीं पता नहीं। कोई बात नहीं।
दूसरी तरफ हमारे देश की पर केपिटा इनकम भी बढ़ गयी है। २००९-१० में वह रु। ४४, ३४५/- इतनी हो गयी है।
महंगाई में भी इजाफा हो रहा है। मतलब सब तरफ से बढ़ोत्तरी ही हो रही है। बधाई हो भाइयो।
मै कई सालो से ये सोचता रहता हु की हम १९६० से पहले यानी की पीछे जाए तो जनसँख्या कम कम होती दिखेगी। लेकिन भारत के इतिहास को देखे तो इस धरती पर कई युध्द हो चुके है। जैसे की महाभारत का युध्द, झंशी की लढाई, पानीपत की लड़ाई। इन युध्दो में लाखो लोग मरे गए। महाभारत में तो बहुत सरे लोग मरे गए थे। मै बार बार सोचता हु की यदि इन पुराने दिनों में ये युध्द न हुए होते और लाखो लोग मर न जाते, तो आज ही हमारे इस देश की जनसँख्या कितनी होती। क्योकि उन दिनों एक आदमी को १०० बच्चे भी हुआ करते थे। अनेक बीबियाँ होती थी। जरा सोचिये यदि ऐसा हुआ होता तो आज हमें खड़े रहने को भी जगह नहीं मिल पाती!
हो सकता है आगे चलकर जनसँख्या बढ़ने से इंसान चाँद पर जगह बना कर रह ले। लेकिन आज यदि जनसँख्या जादा होती तो हमारा क्या होता?
खैर, यह तो एक कल्पना है। लेकिन कल क्या होगा किसी ने नहीं देखा है.
( फोटो साभार-http://www.all-about-india.com/index.हटमल)